hanuman chalisa for Dummies

Wonderful hero, You're as mighty as being a thunderbolt. You remove evil intellect and therefore are the companion of All those owning fantastic ones.

Being entirely mindful of the lack of my intelligence, I pray for you the son of Pavan, the Wind God (Hanuman). I humbly ask you to grant me energy, intelligence and awareness and choose absent all my afflictions and shortcomings.

Through the entire lengthy struggle, Hanuman performed a role as a typical in the military. Through one particular intensive fight, Lakshmana, Rama's brother, was fatally wounded; it was considered that he would die without the help of the herb from a Himalayan mountain. Hanuman was the one one who could make the journey so rapidly, and was So sent for the mountain.

कृपा करहु गुरुदेव की नाईं ॥३७॥ जो सत बार पाठ कर कोई ।

All problems stop for the 1 who remembers the potent lord, Lord Hanuman and all his pains also come to an conclusion.

दिल्ली के प्रसिद्ध हनुमान बालाजी मंदिर

पवनदीप राजन द्वारा गाया हनुमान चालीसा

भावार्थ – आप प्रभु श्री राघवेन्द्र का चरित्र (उनकी पवित्र मंगलमयी कथा) सुनने के लिये सदा लालायित और उत्सुक (कथारस के आनन्द में निमग्न) रहते हैं। श्री राम, लक्ष्मण और माता सीता जी सदा आपके हृदय में विराजमान रहते हैं।

In fury, the sage curses Hanuman to overlook the vast majority of his powers. The curse stays into result, till He's reminded of his powers in his adulthood.

भावार्थ – माता जानकी ने आपको वरदान दिया है कि आप आठों प्रकार की सिद्धियाँ (अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व, वशित्व) और नवों प्रकार की निधियाँ (पद्म, महापद्म, शंख, मकर, कच्छप, मुकुन्द, कुन्द, नील, खर्व) प्रदान करने में समर्थ होंगे।

भावार्थ – आपके भजन से लोग श्री राम को प्राप्त कर लेते हैं और अपने जन्म जन्मान्तर के दुःखाँ को भूल जाते हैं अर्थात् उन दु:खों से उन्हें मुक्ति मिल जाती है।

सत्संग के द्वारा ही ज्ञान, विवेक एवं शान्ति की प्राप्ति होती है। यहाँ श्री हनुमान जी सत्संग के प्रतीक हैं। अतः श्री हनुमान जी website की आराधना से सब कुछ प्राप्त हो सकता है।

विदेशी गायक श्री कृष्णा दास की आवाज मे हनुमान चालीसा

भावार्थ – अन्त समय में मृत्यु होने पर वह भक्त प्रभु के परमधाम (साकेत–धाम) जायगा और यदि उसे जन्म लेना पड़ा तो उसकी प्रसिद्धि हरिभक्त के रूपमें हो जायगी।

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